बॉलीवुड जगत और डिप्रेशन  

अवसाद को उदासी, अकेलापन, चिंता, निराशा आदि जैसे नामों से पुकारा जाता है। अवसाद मानसिक स्थिति से जुड़ा रोग है. यह रोग बहुत तेजी से युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। इसकी चपेट में आकर कई व्यक्तियों ने जिंदगी की डोर बीच में ही छोड़ दी। वैश्विक स्तर पर नजर दौड़ाएं तो स्थिति और भी भयावह दिखाई देती है। आज किसी व्यक्ति व समाज को सबसे ज्यादा जिस चीज की आवश्यकता है वह है सुख-शांति और अपनों का साथ। सिर्फ आम इंसान ही नहीं खास इंसान भी डिप्रेशन की चपेट में आते हैं, हम सभी के पसंदीदा सेलीब्रेटीज भी उनमें से एक हैं। बॉलीवुड जगत को बेशुमार शोहरत और समृद्धि के लिए जाना जाता है।

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लेकिन इस चकाचौंध और तेज़ रफ़्तार से भरी दुनिया की एक कड़वी सच्चाई भी है जिससे हम मुँह नहीं मोड़ सकते। फिल्म इंडस्ट्री जहां एक तरफ कलाकारों को नाम, शौहरत, इज़्ज़त दिलाती है वही कई बार गुमनामी और अवसाद की ऐसी काली दुनिया में भी धकेल देती है जहां से लौट कर आना नामुमकिन हो जाता है। चकाचौंध भरी दुनिया अक्सर चेहरे के पीछे छिपे दर्द और तनाव को छुपा देती है।

यही कारण है कि कई बॉलीवुड की मशहूर हस्तियां भी अवसाद का शिकार बनी हैं। सुनने में बड़ा अजीब सा लगता है, पर इस इंडस्ट्री के शहंशाह अमिताभ बच्चन से लेकर दीपिका पादुकोण तक, कई सेलीब्रेटी अवसाद का शिकार हो चुके हैं। फर्क बस इतना है कुछ ने समय रहते इस पर काबू पा लिया तो कुछ ने प्रत्यूषा की तरह मौत को गले लगा लिया।

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अमिताभ बच्चन  

हिन्दी सिनेमा में चार दशकों से ज्यादा का वक्त बिता चुके अमिताभ बच्चन को ‘एंग्री यंग मैन की उपाधि प्राप्त है। ये हिन्दी सिनेमा के सबसे बड़े और सबसे प्रभावशाली अभिनेता माने जाते हैं। सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के तौर पर उन्हें कई बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण सम्मान से भी नवाजा है। अमिताभ बच्चन फिल्मों में कठोर किरदार निभाने वाले अमिताभ भी अवसाद से गुजर चुके हैं।

90 के दशक में उन्होंने बतौर निर्माता अपनी कंपनी शुरू की। लेकिन एक के बाद एक कई फिल्मों के फ्लॉप होने के कारण उन्हें भारी नुकसान हुआ और इनकी ए. बी. सी. नामक कंपनी दिवालिया हो गई और इस कारण अमिताभ डिप्रेशन का शिकार हुए। इस दौरान वे अन्य कई बीमारियों से भी गुजर रहे थे, जिनसे वे शारीरिक और मानसिक तौर पर काफी कमजोर हो गए थे। परन्तु अपने मजबूत इरादों और दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर अमित जी अवसाद से बाहर आए.

शाहरुख खान

शाहरुख खान हिन्दी फिल्मों के अभिनेता होने के साथ-साथ निर्माता और टेलीविजन पर्सनालिटी भी हैं। उन्हें लोग प्यार से ‘बॉलीवुड का बादशाह’, ‘किंग ऑफ बॉलीवुड’ व ‘किंग खान’ भी कहते हैं। ये लगभग सभी शैलियों की फिल्मों (रोमांस, ड्रामा, कॉमेडी, एक्शन) में काम कर चुके हैं। इनके प्रशंसकों की संख्या भारत के साथ-साथ विदेशों में भी बहुत ज्यादा है।

इनकी लोकप्रियता के चलते ही लंदन के मैडम तुसाद संग्रहालय में उनकी वैक्स की मूर्ति भी स्थापित है। किसने कभी सोचा नहीं था कि किंग खान भी कभी अवसाद के गिरफ्त में आ सकते हैं। एक समय में कंधे की सर्जरी के शारीरिक कष्ट की स्थिति इन्हें अवसाद के गहरे अंधकार में लेकर चली गई थी परन्तु इनके प्रशंसकों के प्यार ने इन्हें संघर्ष से उबरने में मदद की और आज भी ये लगातार सफल फिल्में दे रहे हैं.

दीपिका पादुकोण

दीपिका पादुकोण एक ऐसी खूबसूरती है जिसने दर्शकों को अपने अभिनय और करिश्माई सौंदर्य से सबको मंत्रमुग्ध किया हुआ है। एक इंटरव्यू के दौरान दीपिका पादुकोण ने स्वीकार किया कि उन्हें भी डिप्रेशन का शिकार होना पड़ा है। उन्होंने मिडिया को बताया कि एक लंबे समय तक निराशा के साथ चली लड़ाई को जीतन में चिकित्सकों के अतिरिक्त उनके परिवार और दोस्तों के स्नेह ने मदद की।

तभी से उनके जीवन के अनेक उद्देश्यों में से एक उद्देश्य इस बीमारी के बारे में जागरुकता फैलाना भी है। इसी कार्य को आगे बढ़ाने के लिए इन्होंने एक एन. जी. ओ. भी स्थापित किया और अवसाद के संघर्ष में लोगों की मदद की।

अनुष्का शर्मा 

फिल्मों में अपने बेहतरीन अभिनय से सबका मनमोहने वाली अनुष्का शर्मा को हमने सिल्वर स्क्रिन पर हमेशा हंसते खेलते देखा है। मुश्किल किरदार में अपने जीवंत अभिनय से जान फूंकने में माहिर अनुष्का शर्मा भी एक समय डिप्रेशन का शिकार रह चुकी है। अपने इस रोग के बारे में अनुष्का ने कई ट्विट भी किए। अनुष्का शर्मा के अनुसार उन्हें एंग्जायटी डिसॉर्डर रहा था जो एक तरह का डिप्रेशन है।

जिसका इलाज भी चला। अभी फिलहाल अनुष्का पूरी तरह से ठीक है, और अपनी आने वाली फिल्मों में सक्रिय रुप से कार्यरत है। उसने कहा कि उसने अपने परिवार में अवसाद के कई मामलों को देखा है। इसलिए, उसने इस बीमारी के प्रति जागरुकता फैलाने और सबको इस विषय पर शिक्षित करने का कार्य भी किया है।

वरुण धवन

युवा दिलों की धड़कन वरुण धवन अपने अभिनय और डांस से एक जमाने के हिट गोविंदा की याद दिलाते हैं। उनका अभिनय जिंदादिली से भरा होता है और अपनी फिल्मों के लिए भी वे कड़ी मेहनत करते हैं। एक समय की बात है कि वरुण धवन को डिप्रेशन ने घेर लिया था। यह उस समय की बात है कि जब वरुण धवण बदलापुर फिल्म की शूटिंग कर रहे थे।

इस फिल्म में रोल निभाते समय वरून काफी डिप्रेस हो गए थे। फिल्मांकन के दौरान फिल्म का चरित्र जो उनके मस्तिष्क में था उसने इनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया था। यह समय उनके लिए कष्टकारी था। उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्होंने चिकित्सकीय निदान भी लिया था।

जिया खान

जिया खान को गजनी मूवी से जाना जाता है। जिया खान अपने कैरियर की शानदार शुरुआत करने वाली लड़की थी परन्तु अपने करियर की सफलता को बनाए रखने में सफल नहीं हो सकी। फिल्म उद्योग में अपनी असफलता और अपने असफल संबंधों को स्वीकार नहीं कर सकी। इसी के चलते उसने अपने जीवन को समाप्त करने का दुखद कदम उठा लिया।

2013 में जिया खान की खुदकुशी की खबर से सब सकते में रह गए। महज 25 साल की उम्र में जिया ने अपने जीवन का अंत करने का फैसला ले लिया और मुंबई के अपने अपार्टमेंट में आधी रात को गले में फंदा डाल लिया। माना जाता है कि खूबसूरत मुस्कुराहट वाली जिया पर करियर का बहुत दबाव था और जिया खान अवसाद के प्रभाव में थी।

अवसाद के ज्योतिषीय योग और निवारण

संसार में जो भी घटना घटित होती है, चाहे वो मानवीय जीवन के उतार चढ़ाव हों या फिर सुख व दुख की स्थितियां इन सभी को ज्योतिष विद्या के द्वरा समझा जा सकता है। वायु, पित्त, कफ आदि एक प्रकार के रोग हैं, पेट दर्द, अनिद्रा भी एक रोग है।

ज्योतिषीय सिद्धान्तों के अनुसार जन्मकुंडली से रोगों का विश्लेषण किया जा सकता हैं तथा ज्योतिषीय उपचार के द्वारा संबंधित रोग से मुक्ति भी पा सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के आधार पर किसी भी रोग अथवा शारीरिक, मानसिक कष्ट का कारण एवं निवारण की जानकारे प्राप्त करने के लिए सर्वप्रथम कुंडली में बन रहे योगों का सूक्ष्म अध्ययन करना चाहिए.

आज कल की भाग दौड़ एवं व्यस्ततम भरे जीवन में डिप्रेशन की बीमारी ज्यादा हो रही है ज्योतिषीय उपचार हेतु डिप्रेशन का कारण एवं निवारण जानने के लिए सर्वप्रथम डिप्रेशन के मुख्य अवयवों पर विचार करना होगा। इसके मुख्य अवयव है – मन, बुद्धि एवं मस्तिष्क – मन और मस्तिष्क का कारक ग्रह चंद्रमा है। बुद्धि का कारक ग्रह बुध है। मस्तिष्क का प्रतीक ग्रह मंगल है। प्रथम भाव का कारक ग्रह सूर्य है। अवसाद एवं डिप्रेशन का प्रतीक शनि है। आईये अब ज्योतिषीय योगों पर नजर डालते हैं-

सबसे पहले कुंडली में देखें कि मन और मस्तिष्क का कारक ग्रह चंद्रमा पीड़ित तो नहीं है। बुद्धि का प्रतीक बुध अपनी नीच राशि अथवा शत्रु राशि अथवा शत्रु ग्रह के साथ तो नहीं है। मस्तिष्क का संबंध प्रथम स्थान अथवा लग्न भाव से हैं। लग्न राशि स्थान तथा लग्नेश की स्थिति कुंडली में कैसी है।

मस्तिष्क के प्रतीक मेष राशि के स्वामी मंगल की स्थिति कैसी है। प्रथम भाव के कारक ग्रह सूर्य की स्थिति कैसी है। संवेदना दु:ख अवसाद का कारक ग्रह शनि अशुभ स्थिति में तो नहीं है अथवा शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या महादशा, अंतरदशा से तो व्यक्ति नहीं गुजर रहा है।

  1. क्षीण चन्द्रमा अगर शनि के साथ युति करें तो भी इंसान अवसाद या तनाव में रहता है।
  2. यदि लग्नेश तीसरे य एकादश भाव में हों तो भी यह बेहद तनाव का कारण बनता है।
  3. चन्द्रमा शुक्र से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अगर सम्बन्ध स्थापित करें तो व्यक्ति अवसाद से पीडि़त होता हो।
  4. 11वें भाव में चन्द्र, मेष राशि में स्थित हो तो यह मानसिक उन्माद का कारण बनता है।
  5. शनि लग्न से 9 वें, 5वें, व 7वें भाव में कहीं भी स्थित हों तो व्यक्ति को मानसिक रोग होता है।
  6. 12वें भाव या 12वें भाव के स्वामी से शनि ग्रह से किसी प्रकार का सम्बन्ध बने तो भी प्रबल अवसाद की स्थिति बन सकती है।
  7. 5वें भाव में यदि पापी ग्रहों का अधिक प्रभाव हो तो भी यह मानसिक उन्माद का कारण बनता है।

उपरोक्त बॉलीवुड जगत की कुंडलियों में कुछ योग अंशत: और कुछ योग पूर्णत: लग रहे है। जिस समय इनके जीवन में अवसाद रोग ने जन्म लिया उस समय इनकी दशा-अंतर्दशा भी पीडि़त ग्रहों की थी. ज्योतिष योग, दशा और अन्य ग्रहों का बारीकी से अध्ययन करने के बाद यह कहा जा सकता है कि मनोबल को उच्च रखते हुए, योगा, संगीत और अन्य चिकित्सा साधनों के द्वारा अवसाद रोग पर नियंत्रण रखने में सफल हो सकते हैं। निराशा और डिप्रेशन के दौर से गुजर रहे व्यक्तियों को चिकित्सकों की सेवाएं लेने के साथ-साथ नीचे बताए गए उपाय करने से भी रोग निवारण में विशेष लाभ मिलेगा।

उपाय – रोज सुबह स्नान करने के बाद तुलसी के पौधे को जल चढाकर आप 11 परिक्रमा करें और गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं। तुलसी की माला धारण करें।

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